Monday, October 21, 2024

संसाधनों का प्रयोग या दुरुपयोग (Use and Abuse) 66

दावेदारियाँ और राजनीती? 


ऐसा नहीं था की हैरान होने को कुछ बचा था 

ऐसा भी नहीं था की, 

राजनीती के गलियारों का abc तक नहीं पता था।  

शायद इसीलिए राजनीती से नफरत थी, है और रहेगी। 

मगर, तब इसे जानने की भी कोई जिज्ञाषा नहीं थी 

जो वक़्त और हालातों ने पैदा कर दी। 


दावेदारियाँ और राजनीती?

इसे बचपन से, युवावस्था तक ऐसे ही जाना था। 

मगर हैरानियाँ, अभी भी बाकी थी?

साँप के सपोले, राम की दावेदारी पर थे? 

तन-मन से नहीं,

बल्की,  

उसी राजनीती और दावेदारियों वाले बल के दम्भ से?  


कुछ-कुछ ऐसे ही, जैसे 

माँ, 

बीबी या भाभी संबोधित हो जाएँ?

"और कितना गिरोगे  तुम?"

"यही राजनीती है?"  

या बेटा, 

सुहाग या पति?

बेटियाँ, 

पत्नी के आईने में ढालने लायक?

किसी और के लिए नहीं, 

बल्की, खुद बाप के अपने लिए?


क क क किरन (सूरज की या रौशनी की किरण) 

स्मृति (याद) और श्रुति (कान) से लेकर

पूजा-अर्चना के विधि-विधानों तक? 

Cult Politics के खुँखार जंजालों तक 

या नारायण-नारायण के CM ताज तक? 

तो ये CM तो बस, नारायण-नारायण करते 

इस लोक से उस लोक तक घुमने के लिए हैं? 


Check & mate? 

Checkmate के च च च साज़ (जालसाज़?) तक?

Dummy (पुतला) और Duffers के E वाले इतिहास तक?

CBI से ED वाले घाट (घात) तक?

हाँक रहे थे (हैं), बरसों से वो,  

इंसानों को यहाँ से वहाँ, कैसे-कैसे?  

क्या से क्या बनाते हुए?

और कैसे-कैसे बहाने लिए हुए? 

किस-किस भेष में बदलते हुए?  


एक रिस्ता या भेष वो था, 

"जय हिन्द साहिबा" से "स्नेह सहित" वाला   

और एक भेष, आज ये है? 

जिम्मेदार कौन? 

या शायद,

"जब भी कोई वादा किया, 

हदों से अपनी ज्यादा किया?"

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