Friday, November 8, 2024

संसाधनों का प्रयोग या दुरुपयोग (Use and Abuse) 82

दिवाली नहीं मनाई आपने?

जब से पता चला है की त्यौहार या शुभ-अशुभ सत्ता के हिसाब-किताब से निकाले जाते हैं, तब से सत्ता या सरकार या राजनीतिक पार्टियों के हिसाब-किताब को अंधभक्त बन मनाने की बजाए, समझने की कोशिश ज्यादा होती है। क्यूँकि मेरे त्यौहार, शुभ-अशुभ, महज़ सरकारी या राजनीतिक या बाजारू नहीं हो सकते। इसलिए जिस किसी का जन्मदिन दिवाली के आसपास हो, उस दिन दिवाली। जिसका होली के आसपास हो, उस दिन होली। बाकी कितने सारे त्यौहारों की तारीखें तो हैं ही फिक्स। तो जो इस साल ईधर की राजनीतिक पार्टी वाली तारीख और दूसरे साल उधर वाली राजनीतिक पार्टी वाला शुभ-अशुभ नहीं हों, उन्हें उसी दिन मना लो। जैसे नया साल। 

वैसे तो ये पिछले कुछ सालों से ही ऐसे है। उसपे यहाँ गाँव के हाल पता नहीं कब से ऐसे ही देख रही हूँ, की अबकी बार दिवाली नहीं मनेगी, ये गया। अबकी बार होली नहीं मनेगी, वो गई। कोरोना और उसके बाद जो देखा या समझ आया, वो ये, की दिवाली के आसपास कोई ईधर से उठा या उठी, तो होली के आसपास नंबर मान के चलो उधर का है। ये ईधर-उधर कौन हैं? राजनीतिक पार्टियाँ और उनके घड़े कोड। और उठते कौन हैं? आम इंसान, ईधर से भी और उधर से भी। जो आपका ही आसपड़ोस, कुनबा या रिस्तेदारी होती है। अब पता नहीं, कितना गलत समझ आया और कितना सही?      

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