Thursday, August 22, 2024

संसाधनों का प्रयोग या दुरुपयोग (Use and Abuse) 10

बहस

इलैक्शन होने चाहिएँ?

नहीं होने चाहिएँ। 

होने चाहिएँ। 

क्यों होने चाहिएँ? और 5-साल में कितनी बार होने चाहिएँ?

इलैक्शन में नेता लोगों को ये भी याद आता है, की उन्हें जनता से मिलना है। उन्हेँ क्या समस्याएँ हैं, ये भी जानना है। और उन समस्याओं के समाधानों के वादे भी करने हैं। अगर हम जीते तो? ब्लाह, ब्लाह, ब्लाह वादे-इरादे? इधर भी,उधर भी और उधर भी। 

मगर इस दौरान कुछ और भी खास होता है। सिर्फ वादे होते हैं। इस दौरान वादों के इलावा कुछ नहीं होता। फलाना-धमकाना नाम पे जैसे, सब कामों पे कोई स्टॉप लगा दिया जाता है। जबकि, होना उल्टा चाहिए। वादे नहीं, काम करो, वो सब जिनके वादे कर रहे हो। जो उन्हें पहले पुरे करने में सफल होगा, वही जीतेगा। उससे पीछे रहने वाले 2nd, 3rd आएँगे या हार जाएँगे। अगर ऐसे इलैक्शन होने लग जाएँ तो, फिर 5-साल में क्यों, चाहे रोज इलैक्शन हों। वैसे फिर जैसे इलैक्शन आजकल होते हैं, उनकी जरुरत ही कहाँ रहेगी? और ना ही खामखाँ के या झूठे वादे कर पाएँगे नेता या पार्टियाँ। 

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