Friday, March 15, 2024

तेरे आगमन पे

तेरे आगमन पे 

ये तबके आज भी यूँ, दबके-दुबके से क्यों हैं? 

बच्चा आया हो तो, माहौल क्यों ना खुशनुमा हो?

तेरे जन्म पे यूँ क्यों, दुबका-दुबका सा रहता है - 

आज भी समां-सा यहाँ?

ये कौन-से तबके हैं?

कैसे-कैसे, दबके-दुबके से हैं?

मिठाइयाँ क्यों ना बटें?

क्यों ना इनके थाल पीटें?

ठीक वैसे, 

जैसे पीटते हैं ये, लड़के के जन्म पे? 

ये कौन-से तबके का जहाँ है?

तेरे आगमन पे मौसम यहाँ, 

क्यों जैसे दबका-दुबका सा है?  

राजनीती के कोढ़ से परे भी 

क्यों ना इनकी अपनी कोई दुनियाँ हो?